इस पाठ में हम आपको परिचय, आवेश, विद्युत, कूलाम का नियम, गाउस का नियम, पदार्थ का परिचय, विद्युत क्षेत्र प्रबलता, परमाणु संरचना को विस्तार से समझायेेंगे जो आपके सीबीटी परीक्षा या प्रतियोगिता परीक्षा ये सभी जगह काम करेगा, जो आपके भविष्य उज्जवल में सहायक होगा।
1.1- परिचय (Introction)-
👉 विद्युत आजकल ऊर्जा का एक महत्वपूर्ण स्रोत है ।
👉वर्तमान समय में जीवन के प्रत्येक कार्य को सरल व सुगम बनाने के लिए विद्युत ऊर्जा का उपयोग आवश्यक है ।
👉घरों, शिक्षण संस्थानों, विभिन्न कार्यालयों एवं औद्योगिक इकाईयों में प्रतिदिन बढ़ते विद्युत ऊर्जा उपयोग के कारण वर्तमान में और अधिक मात्रा में विद्युत उत्पादन महत्वपूर्ण आवश्यक हो गया है ।
👉तेजी से हो रहे औद्योगिक विकास एवं विभिन्न परियोजनाओं के कारण कुशल विद्युतकारों की भी बड़ी संख्या में आवश्यकता होगी
👉विद्युत एवं इससे संबंधित उपकरणों का बाजार बहुत विस्तृत एवं विशाल है। साथ ही प्रतिदिन इसमें होने वाले नवाचार इसके विकास को गति प्रदान कर रहे है ।
👉विद्युत, आवेशों की मौजूदगी एवं उनके बहाव की एक भौतिक परिघटना है। विद्युत को देखा और छुआ नहीं जा सकता, इसे केवल इसके प्रभाव से महसूस किया जा सकता है ।
आवेश ( Charge) -
👍प्रकृति में व्याप्त सभी वस्तुएं एक काल्पनिक गुण द्वारा आपस में आकर्षण अथवा प्रतिकर्षण बल को अनुभव करती है, इसी गुण को आवेश कहते है ।
👍लगभग 2500 वर्ष पूर्व थेल्स नामक वैज्ञानिक ने कहरवा (एम्बर) नामक पदार्थ को रेशम से रगड़ा, जिससे उसके द्वारा कागज के छोटे- छोटे टुकड़े आकर्षित हुए ।
👍इस प्रभाव के विद्युत ( इलेक्ट्रिक ) नाम दिया गया ।
👍"इलेक्ट्रिसिटी" शब्द ग्रीक भाषा के शब्द इलेक्ट्रॉन से लिया गया है जिसका अर्थ "एम्बर" है ।
👍विद्युत आवेश मु्ख्यतः दो प्रकार के होते है- धनावेश तथा ऋणावेश। इन आवेशों की जानकारी बेंजामिन फ्रेंकलिन द्वारा दी गई ।
विद्युत (Electricity):-
👍आवेशों का स्थानान्तरण ही विद्युत के जनन का कारण है ।
👍विद्युत के अन्तर्गत आवेशों की गति की प्रकृति के आधार पर विद्युत को दो भागों में वर्गीकृत किया गया है-
1. स्थैतिक विद्युतिकी
2. गतिक विद्युतिकी
1. स्थैतिक विद्युतिकी (Static Electricity) -
👍इसमें विद्युत आवेश के रुप में रहता है तथा इसका स्थानान्तरण एक स्थान से दूसरे स्थान पर नहीं किया जा सकता है।
👍पदार्थों को आपस में रगड़ दिया जाये तो उनमें परस्पर आवेशों के आदान- प्रदान के फलस्वरुप आकर्षण या प्रतिकर्षण का गुण आ जाता है ।
👍भौतिक विज्ञान की वह शाखा जिसके अन्तर्गत स्थिर आवेशों के गुणों एवं उनसे संबंधित विद्युत बल, विद्युत क्षेत्र, विद्युत विभव , विद्युत धारिता एवं विद्युत ऊर्जा का अध्ययन किया जाता है, स्थिर वैद्युतिकी कहलाती है।
अनुप्रयोग-
कम्प्यूटर प्रिन्टर, पेंट स्प्रेयर और भूकम्प लेखी (सिस्मोग्राफ) भी स्थिर वैद्युतिकी पर आधारित है ।
2. गतिक वैद्युतिकी (Dynamic Electricity)-
👍आवेशों के नियमित प्रवाह से उत्पन्न विद्युत, गतिक वैद्युतिकी कहलाती है।
👍आवेशों का नियमित प्रवाह चालक के माध्यम से होता है।
👍इसे तारों व केबलों की सहायता से एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुँचाया जा सकता है।
👍वर्तमान में इस प्रकार की ऊर्जा को हम सेल, बैटरी, डायनेमों अल्टरनेटर से उत्पन्न कर सकते है।
आवेश उत्पन्न करने की विधियाँ (Methods of Charge Generation)-
आवेश मुख्यतः तीन प्रकार से उत्पन्न किये जाते है-
1. घर्षण द्वारा-
यह प्रयोग स्थिर वैद्युतिकी हेतु प्रयोग में लिया जाता है।
दो वस्तुओं को आपस में रगड़ने पर आवेश का स्थानान्तरण नीचे दी गयी सारणी अनुसार होता है-
धनावेशित | ऋणावेशित |
काँच की छड़ | रेशम का कपड़ा |
बिल्ली की खाल | ऐबोनाइट की छड़ |
ऊनी वस्त्र | प्लास्टिक या ऐबोनाइट की छड़ |
2. चालन द्वारा-
इस क्रिया में दो धात्विक वस्तुओं को परस्पर सम्पर्क में लाने पर उनमें आवेश का स्थानान्तरण होता है। जैसे- परिपथ में विद्युत धारा का प्रवाह।
3. प्रेरण द्वारा-
विद्युत चुम्बकीय क्रियाओँ द्वारा एक वस्तु से दूसरी वस्तु में बिना सम्पर्क आवेश का स्थानान्तरण होता है। जैसे- ट्रांसफार्मर।
विद्युत आवेश के गुण (Properties of Electric Charge)-
👍आवेश भी द्रव्यमान की भांति एक अदिश राशि है।
👍विभिन्न प्रकार के आवेशों को एक साथ जोड़ने के लिए बीजगणितीय योग का प्रयोग किया जाता है।
उदाहरणः- माना किसी निकाय में आवेश क्रमशः -2µC, +2µC एवं +4µC उपस्थित है निकाय का कुल आवेश बताएं ?
हल- हम जानते है आवेश एक अदिश राशि है जिनका बीजगणितीय योग सम्भव है।
अतः कुल आवेश (Q) = (-2µC)+(+2µC)+(+4µC)
(Q)= +4µCE
2. आवेश संरक्षण-
प्रकृति में पाया जाने वाला कुल आवेश हमेश संरक्षित रहता है अर्थात् आवेश को न तो उत्पन्न किया जा सकता है और न ही नष्ट किया जा सकता है। केवल इन्हें एक वस्तु से दूसरी में स्थानान्तरित किया जा सकता है।
3. आवेश का क्वांटीकरण-
👍किसी भी वस्तु का आवेश एक प्राथमिक आवेश (e-) के पूर्ण गुणक के रुप में होता है। इस प्रकार आवेश का मान 0e, 1e, -1e, 2e आदि होता है।
👍अतः किसी वस्तु पर कुल आवेश निम्न सूत्र से प्रदर्शित किया जा सकता है-
Q = ± ne (इसमें धनात्मक व ऋणात्मक चिह्न दोनों होता है)
जहाँ – n= 0,1,2,3,……………………………
e = -1.6x 10-19C
उदाहरण-
एक कूलाम आवेश में कितने इलेक्ट्रॉन अथवा प्रोटॉन विद्यमान होते है।
हलः- हम जानते है
Q = ± ne जहाँ – n=इलेक्ट्रॉन संख्या
e = -1.6x 10-19C
आवेश के मात्रक ( Units of Charge):-
👍आवेश का SI मात्रक कूलॉम होता है।
👍आवेश का CGS मात्रक इलेक्ट्रोस्टेटिक यूनिट (e.s.u) होता है।
👍1 कूलॉम= 3x109 e.s.u
👍1 e.s.u. = 3.33x10-10 कूलॉम
👍आवेश की एक अन्य इकाई फैराडे होती है।
👍1 फैराडे =96500 कूलॉम
👍आवेशों का मापन इलेक्ट्रोस्कोप (विद्युतदर्शी) से किया जाता है।
1.2- Coulomb's Law -कूलाम का नियम
👉इस नियम की खोज फ्रांसिसी वैज्ञानिक चार्ल्स अगस्टीन डी कूलाम ने की।
👉यह नियमं दो बिन्दु आवेशों के बीच लगे बल के विषय में एक मात्रात्मक प्रकथन है।
👉यह नियम विद्युत चुम्बकत्व के सिद्धान्त के विकास के लिए आधार था।
👉दोनों आवेश विपरीत चिन्ह के हों तो उनमें आकर्षण बल विद्यमान रहेगाऔर यदि दोनों समान चिन्ह वाले आवेश हों तो उनमें प्रतिकर्षण बल विद्यमान रहेगा।
👉दो बिन्दु आवेशों के बीच लगने वाले स्थिर वैद्युत बल का मान दोनों आवेशों के गुणनफल के समानुपाती होता है, तथा उन आवेशों के बीच की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है।
👉यह नियम अदिश अथवा सदिश रुप में व्यक्त किया जा सकता है। अदिश रुप में यह नियम निम्नानुसार है-
q1q2r F∝q1q2
जहाँ K कूलाम नियतांक
Limitations of Coulomb's Law ( कूलाम के नियम की सीमाएँ)-
👉यह नियम केवल बिन्दु आवेश के लिए ही सत्य है।
👉यह नियम अधिक दूरी के लिए सत्य नहीं है।
👉यह नियम केवल दो चार्जों के बीच
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