वचन किसे कहते हैं, एकवचन, बहुवचन | vachan kise kahate hain



 आज हम जानेंगे की वचन किसे कहते हैं, वचन कितने प्रकार के होते हैं. अगर आप भी एकवचन, बहुवचन के के नियम के बारे में जानना चाहते हैं तो निचे देखें.

वचन किसे कहते हैं

संज्ञासर्वनामविशेषण और क्रिया के जिस रूप से संख्या या गिनती का बोध हो, उसे ‘वचन‘ कहते हैं। वचन का शाब्दिक अर्थ है-‘संख्या वचन’। वचन संख्यावचन का ही संक्षिप्त रूप है। ‘वचन’ का अर्थ ‘कहना‘ या ‘वादा‘ भी होता है।

वचन के प्रकार

अंग्रेजी की तरह हिन्दी में भी वचन के दो प्रकार होते हैं-

  1. एकवचन
  2. बहुवचन

एकवचन किसे कहते हैं – विकारी शब्द में जिस रूप से एक पदार्थ अथवा व्यक्ति का बोध होता है, उसे एकवचन कहते हैं। जैसे-नदी, लड़का, घोड़ा, बच्चा, कुत्ता, सागर, पर्वत, नगर इत्यादि।

बहुवचन किसे कहते हैं- विकारी शब्द के जिस रूप से अधिक पदार्थों अथवा व्यक्तियों का बोध होता है, उसे बहुवचन कहते हैं; जैसे-नदियाँ, लड़के, घोड़े, कुत्ते, पर्वतों, सागरों, बच्चे इत्यादि।

वचन के रूपान्तर

वचन के कारण सभी शब्दों-संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण और क्रिया के रूप विकृत होते हैं। किन्तु यहाँ ध्यान देने की बात यह है कि सर्वनाम, विशेषण और क्रिया के रूप मूलतः संज्ञाओं पर ही आश्रित हैं। इसीलिए ‘वचन’ में संज्ञा शब्दों का रूपान्तर होता है। (वचन किसे कहते हैं  )

वचन के अधीन संज्ञा के रूप दो तरह से परिवर्तित होते हैं-(क) विभक्ति रहित और () विभक्ति सहित।

विभक्ति रहित संज्ञाओं के बहुवचन बनाने के नियम

(1) पुल्लिग संज्ञा के आकारान्त को एकारान्त कर देने से बहुवचन बनता है। जैसे

एकवचन बहुवचन 
बच्चाबच्चे
गधागधे
घोडाघोड़े
पहियापहिये
बकराबकरे
मेजमेजें
कपड़ाकपड़ें

अपवाद – किन्तु कुछ ऐसी भी पुल्लिंग संज्ञाएँ हैं, जिनके रूप दोनों वचनों में एक से रहते हैं। ये कुछ शब्द सम्बन्धवाचक, संस्कृत के अकारात और नकारात हैं। जैसे – मामा, नाना, बाबा, दादा, कर्ता, दाता, पिता (तीनों ‘कर्तृ’ आदि ऋकारान्त), योद्धा, युवा, आत्मा (युवन्, आत्मन, नकारान्त) देवता, जामाता इत्यादि। उदाहरण 

एकवचन – श्याम हमारे चाचा हैं। बहुवचन – प्रेम और विवेक तुम्हारे मामा हैं।
एकवचन – मैं तुम्हारा नाना हूँ। बहुवचन – श्याम और हरि के नाना आए हैं।

पुल्लिग आकारान्त के सिवा शेष मात्राओं से अन्त होने वाले शब्दों के रूप दोनों वचनों में एक-से रहते हैं। जैसे 

एकवचन बहुवचन 
छात्र पढ़ता है।छात्र पढ़ते हैं।
साधु आया है।साधु आये हैं।
शेर आता है।शेर आते हैं।
कृपालु आया। कृपालु आए।
पति है। पति हैं

(3) आकारान्त स्त्रीलिंग एकवचन संज्ञा शब्दों के अन्त में ‘एँ’ लगाने से बहुवचन बनता है। जैसे

एकवचन बहुवचन 
शाखाशाखाएँ
भावनाभावनाएँ
कक्षाकक्षाएँ
वार्तावार्ताएँ
लतालताएँ

(4) अकारान्त स्त्रीलिंग शब्दों का बहुवचन संज्ञा के अन्तिम ‘अ’ को ‘ऐ’ कर देने से तथा अनुस्वार लगाने से बनता है। जैसे

एकवचन बहुवचन 
भैंसभैंसें
रातरातें
बातबातें
सड़कसड़कें
बहनबहनें

(5) इकारान्त या ईकारान्त स्त्रीलिंग संज्ञाओं में अन्त्य ‘‘ को हस्व कर अन्तिम के बाद ‘याँ‘ जोड़ने अर्थात् अन्तिम ‘इ’ या ‘ई’ को ‘इया’ कर देने से बहुवचन बनता है। जैसे 

एकवचन बहुवचन 
तिथितिथियाँ
नीतिनीतियाँ
रीतिरीतियाँ
नारीनारियाँ

(6) जिन स्त्रीलिंग संज्ञाओं के अन्त में ‘या‘ आता है, उनमें ‘या‘ के ऊपर चन्द्र बिन्दु लगाने से बहुवचन बनता है; जैसे 

एकवचन बहुवचन 
डिबियाडिबियाँ
चिड़ियाचिड़ियाँ
गुड़ियागुड़ियाँ

(7) अ-आ-इ-ई के अलावा अन्य मात्राओं से अन्त होने वाली स्त्रीलिंग संज्ञाओं के अन्त में ‘‘ जोड़कर बहुवचन बनाया जाता है। अन्तिम स्वर ‘ऊ’ हुआ, तो उसे हस्वर कर ‘एँ’ जोड़ते हैं। जैसे – बहु-बहुएँ, वस्तु-वस्तुएँ। वचन किसे कहते हैं 

(8) संज्ञा के पुल्लिंग अथवा स्त्रीलिंग रूपों में बहुवचन का बोध प्रायः ‘गण’, ‘वर्ग’, ‘जन’, ‘लोग’, ‘वृन्द’ इत्यादि लगाकर कराया जाता है। जैसे 

एकवचन बहुवचन 
पाठकपाठकगण
गुरुगुरुजन
नारीनारिवृन्द
अधिकारीअधिकारी गण
नेतानेतागण
आपआप लोग

विभक्तियुक्त संज्ञाओं के बहुवचन

विभक्तियों से युक्त होने पर शब्दों को बहुवचन में परिवर्तित करने में लिंग के कारण कोई व्यवधान नहीं होता। इसके कुछ सामान्य नियम निम्नलिखित हैं-

(1) अकारान्त, आकारान्त (संस्कृत शब्दों को छोड़कर) तथा एकारान्त संज्ञाओं में अन्तिम ‘अ’, ‘आ’, या ‘ए’ के स्थान पर बहुवचन बनाने में ‘ओ’ कर दिया जाता है। जैसे

एकवचन बहुवचन 
बहुवचन विभक्ति चिह्न के साथ प्रयोग
लड़कालड़कोंलड़कों ने कहा।
शेरशेरोंशेरों का झुण्ड।
बन्दरबन्दरोंबन्दरों की तरह।
चोरचोरोंचोरों को पकड़ो।
घरघरोंघरों का घेरा।

(2) संस्कृत की अकारान्त तथा संस्कृत हिन्दी की सभी उकारान्त, ऊकारान्त, औकारान्त को बहुवचन का रूप देने के लिए अन्त में ‘‘ जोड़ना पड़ता है। ऊकारान्त शब्दों में ‘‘ जोड़ने के पूर्व ‘‘ को ‘‘ कर दिया जाता है। जैसे 

एकवचन बहुवचन 
 विभक्ति चिह्न के साथ प्रयोग
लतालताओंलताओं को देखो।
भालूभालुओंभालुओं का खेल है।
साधूसाधुओंवह साधुओं का समाज है।
बहुबहुओंबहुओं का घर है।
घरघरोंघरों में जाओ।

(3) सभी इकारान्त और ईकारान्त संज्ञाओं का बहुवचन बनाने के लिए अन्त में ‘यों’ को जोड़ देना चाहिये। ‘इकारान्त’ शब्दों में ‘यों’ जोड़ने के पहले ‘ई’ या ‘इ’ कर दिया जाता है। जैसे 

एकवचन बहुवचन 
 विभक्ति चिह्न के साथ प्रयोग
मुनिमुनियोंमुनियों की यज्ञशाला।
गलीगलियोंगलियों में गए।
नालीनालियोंनालियों को ठीक कराओ।
नदीनदियोंनदियों का प्रवाह तेज है।
साड़ीसाड़ियोंसाड़ियों के दाम दीजिए।

वचन सम्बन्धी विशेष निर्देश

(1) भाववाचक तथा गुणवाचक संज्ञाओं का सदैव एकवचन भाव में प्रयोग किया जाता है। उदाहरणार्थ-“मैं उनकी आत्मीयता से प्रसन्न हूँ।” किन्तु यह नियम वहाँ बदल जाता है जब संख्या या प्रकार का भाव आये। तब उस स्थान पर भाववाचक तथा गुणवाचक संज्ञाओं का बहुवचन रूप ही आयेगा। जैसे – विशेषताएँ, खूबियाँ, नाकामियाँ आदि।

(2) प्राण, लोग, दर्शन, आँसू, ओठ, दाम, अक्षत इत्यादि का प्रयोग हिन्दी में बहुवचन में होता है। जैसे – आपको ओठ खुले कि प्राण लुप्त हुए। आप लोग आए, आशीर्वाद के अक्षत बरसते, दर्शन हुए।

(3) द्रव्यवाचक संज्ञाओं का प्रयोग एकवचन में होता है। जैसे-उनके पास बहुत-सी चाँदी है, उनका बहुत-सा धन बरबाद हुआ। किन्तु यदि द्रव्य के भिन्न-भिन्न प्रकारों का बोध हो, तो द्रव्यवाचक संज्ञा बहुवचन में प्रयुक्त होगी। जैसे – यहाँ बहुत तरह के लोहे मिलते हैं।

(4) ‘प्रत्येक‘, ‘हरएक‘ आदि शब्दों का प्रयोग सदैव एकवचन के साथ होता है।
जैसे – हरएक खिलाड़ी जीतना चाहता है।
प्रत्येक नौकर को काम करना पड़ेगा।

आज हमने जाना की वचन किसे कहते हैं, वचन के रूपांतर तथा एकवचन से बहुवचन बनाने के नियम. यह जानकारी आपको कैसे लगी कमेंट में जरुर बताये.

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